Saturday, June 11, 2011


तुम लाजवाब हो...



तुम बड़े लाजवाब लगते हो,
किसी पागल शायर का ख्वाब लगते हो.

छूने में बर्फ हो लेकिन,
देखने में आग लगते हो.


उलझी जुल्फों का क्या कहना,
मुंशी का हिसाब लगते हो.


सुबह की नमस्ते और..
शाम का आदाब लगते हो.


नॉर्मली चाँद हो,
मेक अप में आफताब लगते हो.


खूबसूरत बोतल में भरी,
महंगी शराब लगते हो.


deodrent लगा लेते हो तो फिर,
महकता गुलाब लगते हो.



किसी मशहूर शायर की ग़ज़ल पे,
दी गयी दाद लगते हो.



गुस्से में जो देखते हो मुझे,
प्यारे प्यारे जनाब लगते हो.



2 comments:

Anonymous said...

gud contemporary shayri.

shyam tiruwa said...

Thanks