Wednesday, June 22, 2011

जब तुम थे.......!!!!!




जब तुम थे...
तो मेरा वजूद कुछ और ही था.
जब तुम थे....
तो चेहरे की रंगत ही कुछ और थी.
जब तुम थे...
तो मुझे हवा के झोंके का एहसास दिलाते थे.
जब तुम थे...
तो मेरा विराट मस्तक तुम्हारी दुवाओ से ढका रहता था.

तुम्हारा होना...
आत्मविश्वास का होना था.
तुम्हारा होना.....
अच्छे एहसास का होना था.
तुम अब भी हो....मगर आधे अधूरे से नजर आते हो....
"ऐ बाल".... तुम यूँ छोड़कर क्यों चले जाते हो.



(श्याम तिरुवा)

Friday, June 17, 2011

मेरा उत्तराखंड




जैसे जन्नत में हों, कई शादियाँ लगती हैं,

ऐसी देवभूमि की, वादियाँ लगती हैं.



पर्वतों से हौसले और सादगी फूलों की तरह,
ये उत्तराखंड की आबादियाँ लगती हैं.



वो जलेबी सी सड़क, तेज हवा, बारिश का नज़ारा,
कभी कभी कुदरत की बरबादियाँ लगती हैं.



यहाँ के लोग बड़े सीधे, सरल होते हैं,
आज के दौर में ये नादानियाँ लगती हैं.

(श्याम तिरुवा)

आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा. धन्यवाद्.

Saturday, June 11, 2011


तुम लाजवाब हो...



तुम बड़े लाजवाब लगते हो,
किसी पागल शायर का ख्वाब लगते हो.

छूने में बर्फ हो लेकिन,
देखने में आग लगते हो.


उलझी जुल्फों का क्या कहना,
मुंशी का हिसाब लगते हो.


सुबह की नमस्ते और..
शाम का आदाब लगते हो.


नॉर्मली चाँद हो,
मेक अप में आफताब लगते हो.


खूबसूरत बोतल में भरी,
महंगी शराब लगते हो.


deodrent लगा लेते हो तो फिर,
महकता गुलाब लगते हो.



किसी मशहूर शायर की ग़ज़ल पे,
दी गयी दाद लगते हो.



गुस्से में जो देखते हो मुझे,
प्यारे प्यारे जनाब लगते हो.



Friday, June 3, 2011

नेता जी का "खेल"


रखने
से ये काली दाड़ी,
नहीं बनोगे, तुम "कलमाड़ी".
खेल में "खेल" खिलाना होगा,
मोटा पैसा बनाना होगा.
अगर नहीं बन पाया खेल,
सुस्ताने
चल देना जेल.



साथ में ये समझलो जी,
बनना हो गर "कनिमोझी",
जी जी जी जी करना होगा,
2
जी से घर भरना होगा.
और पिता ने साथ तुम्हारे,
कैसे भी हो चलना होगा.



इन दोनों से ले लो सीख,
होती कैसे "डील" सटीक.
गर नेता बनना हो भाई,
सीखो खाना खूब मलाई.

Thursday, June 2, 2011

ये कैसा रिश्ता.....


समाज ने उसे...
जाने क्या क्या कहा..
उसने आंसू बहाए..
मगर सब चुपचाप सहा.

उसका
गुनाह ये था..
कि ''किसीने'' ने उसे..
प्रेम से..
लालच से..
या इस्तेमाल करके...
नाजायज तरीके से..
''माँ'' बना डाला था.

ममता भला बुरा थोड़े जानती है..
उसने अपने बच्चे को..
पाला..
पोसा..
बड़ा किया..
मगर चुप रही.

एक दिन बच्चे ने पूछ लिया..
मेरा बाप कौन है..???
वो चुप रही..
बच्चे ने फिर पूछा..
मेरा बाप कौन है..???

कितना
छुपाती..
उसने सच बोल दिया..
वर्षों से दबाया राज..
खोल दिया..

अब
बच्चे की बारी थी..
उसने ऊँगली दिखा के..
बार-बार कहा...
तू मेरा बाप है...!!!
तू मेरा बाप है...!!!

बेटे
कि आवाज में जोश है..
पर न जाने क्यों...


"एन. डी. तिवारी" खामोश हैं.

Wednesday, June 1, 2011

आज तकनीकी और ज़िन्दगी पर एक शेर कह दूँ....




अब कहाँ दिल में उतरने में वक़्त लगता है,
तस्वीर भी आती है फकत नीलेदांत(ब्लूटूथ) से.