Friday, July 15, 2011

कुछ दिनों पहले मुंबई में हुए धमाकों से सारा देश आहत है. सबसे पहले तो इस हादसे में मारे गए लोगों को श्रधांजलि और ईश्वर से यही कामना कि दुखी परिवारों को इस शोक की घड़ी में साहस प्रदान करे. ऐसे माहौल में कुछ कहने को मन कर रहा है...गौर फरमाएं...

मर रहे हैं लोग,
ये मंजर तो देखिये.
इंसानियत के हाथ में,
खंजर तो देखिये.

क्या फायदा पढ़-पढ़ के ये,
गीता, कुरान-ए-पाक,
दिल अब भी हैं पड़े हुए,
बंजर तो देखिये.

अपनों को खो के आदमी,
रोये भी कब तलक.
उसके ज़ेहन में,
अश्क-ए-समंदर तो देखिये.

जो कर रहे हैं लाश पर,
अपनी सियासतें.
वो ही बने हैं आज,
सिकंदर तो देखिये.

फिर फट गया है आदमी,
बम को लपेटकर,
शैतान है,
इंसान के अन्दर तो देखिये.

Wednesday, June 22, 2011

जब तुम थे.......!!!!!




जब तुम थे...
तो मेरा वजूद कुछ और ही था.
जब तुम थे....
तो चेहरे की रंगत ही कुछ और थी.
जब तुम थे...
तो मुझे हवा के झोंके का एहसास दिलाते थे.
जब तुम थे...
तो मेरा विराट मस्तक तुम्हारी दुवाओ से ढका रहता था.

तुम्हारा होना...
आत्मविश्वास का होना था.
तुम्हारा होना.....
अच्छे एहसास का होना था.
तुम अब भी हो....मगर आधे अधूरे से नजर आते हो....
"ऐ बाल".... तुम यूँ छोड़कर क्यों चले जाते हो.



(श्याम तिरुवा)

Friday, June 17, 2011

मेरा उत्तराखंड




जैसे जन्नत में हों, कई शादियाँ लगती हैं,

ऐसी देवभूमि की, वादियाँ लगती हैं.



पर्वतों से हौसले और सादगी फूलों की तरह,
ये उत्तराखंड की आबादियाँ लगती हैं.



वो जलेबी सी सड़क, तेज हवा, बारिश का नज़ारा,
कभी कभी कुदरत की बरबादियाँ लगती हैं.



यहाँ के लोग बड़े सीधे, सरल होते हैं,
आज के दौर में ये नादानियाँ लगती हैं.

(श्याम तिरुवा)

आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा. धन्यवाद्.

Saturday, June 11, 2011


तुम लाजवाब हो...



तुम बड़े लाजवाब लगते हो,
किसी पागल शायर का ख्वाब लगते हो.

छूने में बर्फ हो लेकिन,
देखने में आग लगते हो.


उलझी जुल्फों का क्या कहना,
मुंशी का हिसाब लगते हो.


सुबह की नमस्ते और..
शाम का आदाब लगते हो.


नॉर्मली चाँद हो,
मेक अप में आफताब लगते हो.


खूबसूरत बोतल में भरी,
महंगी शराब लगते हो.


deodrent लगा लेते हो तो फिर,
महकता गुलाब लगते हो.



किसी मशहूर शायर की ग़ज़ल पे,
दी गयी दाद लगते हो.



गुस्से में जो देखते हो मुझे,
प्यारे प्यारे जनाब लगते हो.



Friday, June 3, 2011

नेता जी का "खेल"


रखने
से ये काली दाड़ी,
नहीं बनोगे, तुम "कलमाड़ी".
खेल में "खेल" खिलाना होगा,
मोटा पैसा बनाना होगा.
अगर नहीं बन पाया खेल,
सुस्ताने
चल देना जेल.



साथ में ये समझलो जी,
बनना हो गर "कनिमोझी",
जी जी जी जी करना होगा,
2
जी से घर भरना होगा.
और पिता ने साथ तुम्हारे,
कैसे भी हो चलना होगा.



इन दोनों से ले लो सीख,
होती कैसे "डील" सटीक.
गर नेता बनना हो भाई,
सीखो खाना खूब मलाई.

Thursday, June 2, 2011

ये कैसा रिश्ता.....


समाज ने उसे...
जाने क्या क्या कहा..
उसने आंसू बहाए..
मगर सब चुपचाप सहा.

उसका
गुनाह ये था..
कि ''किसीने'' ने उसे..
प्रेम से..
लालच से..
या इस्तेमाल करके...
नाजायज तरीके से..
''माँ'' बना डाला था.

ममता भला बुरा थोड़े जानती है..
उसने अपने बच्चे को..
पाला..
पोसा..
बड़ा किया..
मगर चुप रही.

एक दिन बच्चे ने पूछ लिया..
मेरा बाप कौन है..???
वो चुप रही..
बच्चे ने फिर पूछा..
मेरा बाप कौन है..???

कितना
छुपाती..
उसने सच बोल दिया..
वर्षों से दबाया राज..
खोल दिया..

अब
बच्चे की बारी थी..
उसने ऊँगली दिखा के..
बार-बार कहा...
तू मेरा बाप है...!!!
तू मेरा बाप है...!!!

बेटे
कि आवाज में जोश है..
पर न जाने क्यों...


"एन. डी. तिवारी" खामोश हैं.

Wednesday, June 1, 2011

आज तकनीकी और ज़िन्दगी पर एक शेर कह दूँ....




अब कहाँ दिल में उतरने में वक़्त लगता है,
तस्वीर भी आती है फकत नीलेदांत(ब्लूटूथ) से.

Sunday, May 29, 2011


तेल का तरणताल.





दाम
तेल के इतने हो गए,
कार हुई दुश्वार,
अब भी चलना है तो ले लो,
कश्ती और पतवार.


कश्ती और पतवार से शायद,
बच जायेंगे.
लेकिन तेल में डूब के,
निश्चित मर जायेंगे.
गड़बड़झाला.......






सभी
जानते हैं कि अंग्रेजी में "साथी" को "पार्ट नर" कहते हैं.

कोई बताये कि "नर" ही क्यों....???

पार्टनर तो "नारी" भी होती है.

हा हा हा .....अरे मजाक कर रहा हु यार.

ज्यादा दिमाग मत लगाओ.

Saturday, May 28, 2011


नौकरशाह......!!!



इंसान नहीं कठपुतली है,
सबसे गर्दन पतली है.
गर जो वो गुर्राता है तो,
समझो चेहरा नकली है.
इन्सान नहीं....


सबसे
ज्यादा टेंशन है,
पर रहना उसे अटेंशन है.
आज नौकरी अच्छी-खासी,
कल होता सस्पेंशन है.
वैसा ही कुछ हाल है उसका,
जैसे जल बिन मछली है.
सबसे गर्दन पतली है.


आज
यहाँ का वासी है,
कल मथुरा से काशी है.
घर परिवार नहीं है उसका,
बेचारा सन्यासी है.
भाग दौड़ करने में उसकी,
टूटी हड्डी पसली है.
सबसे गर्दन पतली है.



झूठा
उसको अभिमान है,
की वही देश की शान है.
जब मर्जी नेता जी कर दें,
सरेआम अपमान हैं.
झेल झेल सब वो बन जाता,
बिलकुल हीरा असली है.
सबसे गर्दन पतली है,
इंसान नहीं कठपुतली है.

नाम में क्या रक्खा है...


दोस्तों ये एक मशहूर पंक्ति है के ....''नाम में क्या रक्खा है ''. शायद सही भी है. लेकिन मैं आपको बताता हूँ कि यदि नाम के विपरीत गुण होते हैं तो कितनी दिलचस्प परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है. ज़रा ध्यान दें.......



आँखों से महरूम नैनसुख,
धनीलाल कंगाल.
''केश''व जी के सर पर देखो,
उगा एक ना बाल.

उगा एक ना बाल,
अजब बन गयी कहानी.
नाम "सरस्वती" जिसका,
वो अनपढ़ अज्ञानी.

विद्वानों में बड़े ही फेमस,
"मूर्खानंद" के श्लोक,
"निर्भय सिंह" जी अपने घर में,
हैं सबसे डरपोक.

हैं सबसे डरपोक,
बात है बड़ी निराली,
"सज्जन सिंह" हैं देते रहते,
बात बात पे गाली.

"अमरनाथ" जी मौत से हारे,
सुख से जीते "रामप्यारे"
"रूपमती" के चेहरे पर हैं,
दुनिया भर के धब्बे सारे.

चलते रहना काम है जिसका,
उसको कहते "विश्राम".
सबसे उज्जवल काया फिर भी,
लोग पुकारें "श्याम"


कृपया ध्यान दें...अगर ये कविता आपको पसंद आए तो सबसे कहें और पसंद न आये तो सिर्फ मुझसे कहें. आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा.

Friday, May 27, 2011

तेवर...


सरहदों की सब हदों को तोड़ दो,
आदमी को आदमी से जोड़ दो.

हम कहाँ दुनिया बदलने पायेंगे,
ऐसी सब बेकार बातें छोड़ दो.

जब नहीं इन्साफ मिलना है तो फिर.
तोड़ दो क़ानून सारे तोड़ दो.

जश्न सच्चाई का गर है देखना,
तो झूठ की सारी सलाखें मोड़ दो.

आसमां तक गर पहुचना चाहते,
बुझदिली की सारी बातें छोड़ दो.

Friday, May 20, 2011


इस देश में भी दिक्कतें तमाम हो गयी,
जवानी "शीला" को आई,
और "मुन्नी" बदनाम हो गयी.



यहाँ सच्चे को मिलता नहीं,
''कुदरत का इन्साफ '' है,
''दबंग '' के लिए,
''सात खून माफ़ '' है.
भ्रष्ट बनो....!!!!!


जब "ऑनेस्टी" पे कोई नहीं करता ट्रस्ट सुनो...

तो भ्रष्ट बनो.....!!!



"ऑनेस्टी"
में जब तक तुम थे लगे रहे ...

कभी ''इधर'' तो कभी ''उधर'' बस पड़े रहे.

मेहनत और लगन से तुमने काम किया..

पर ''boss'' को ''खुश'' करने में तुम नाकाम रहे .

जब तुमपे नहीं किसीका है ''interest'' सुनो ....

तो भ्रष्ट बनो .....!!!




हर
कोई मेहनत से सर्विस पाता है ...

"ऑनेस्टी" से काम पे वो लग जाता है ...

पर माहौल बदल देता है उसको भी ..

और ''system ka part'' वही बन जाता है ..

ऐसे में जब, कोई नहीं उत्कृष्ट सुनो ...

तो भ्रष्ट बनो .....!!!




खुद
चाहे तुम कितने भी
"ऑनेस्ट" रहो..

काम में अपने कितने भी परफेक्ट रहो ..

पर सोचो क्या इसका "credit" पाया है ..??

बिन ''जुगाड़'' के काम कोई बन पाया है ..

इसीलिए करता मैं ये स्पष्ट सुनो ..

तो भ्रष्ट बनो ....!!!



झूठ नहीं, मैं अपना अनुभव बोल रहा...

बंधी हुई आँखों पे पट्टी खोल रहा ...

जब system की कदुई ये सच्चाई है ...

तो भ्रष्टाचार की क्यों देते दुहाई है ..

सच्चाई को कर लो तुम Accept सुनो..

पर भ्रष्ट नहीं ..तुम
BEST बनो .







Wednesday, May 18, 2011

sochiye...!!! kya ye sach hai..........


Subah hui phir shaam ho gayi,
Dincharya ye aam ho gayi.

Desh ko kyun develope karne main,
Sarkaren naakam ho gayi.

Aise poot, kapoot ban gaye,
Bharat maa badnaam ho gayi.