
दोस्तों ये एक मशहूर पंक्ति है के ....''नाम में क्या रक्खा है ''. शायद सही भी है. लेकिन मैं आपको बताता हूँ कि यदि नाम के विपरीत गुण होते हैं तो कितनी दिलचस्प परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है. ज़रा ध्यान दें.......
आँखों से महरूम नैनसुख,
धनीलाल कंगाल.
''केश''व जी के सर पर देखो,
उगा एक ना बाल.
उगा एक ना बाल,
अजब बन गयी कहानी.
नाम "सरस्वती" जिसका,
वो अनपढ़ अज्ञानी.
विद्वानों में बड़े ही फेमस,
"मूर्खानंद" के श्लोक,
"निर्भय सिंह" जी अपने घर में,
हैं सबसे डरपोक.
हैं सबसे डरपोक,
बात है बड़ी निराली,
"सज्जन सिंह" हैं देते रहते,
बात बात पे गाली.
"अमरनाथ" जी मौत से हारे,
सुख से जीते "रामप्यारे"
"रूपमती" के चेहरे पर हैं,
दुनिया भर के धब्बे सारे.
चलते रहना काम है जिसका,
उसको कहते "विश्राम".
सबसे उज्जवल काया फिर भी,
लोग पुकारें "श्याम"
कृपया ध्यान दें...अगर ये कविता आपको पसंद आए तो सबसे कहें और पसंद न आये तो सिर्फ मुझसे कहें. आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा.
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