Friday, May 27, 2011

तेवर...


सरहदों की सब हदों को तोड़ दो,
आदमी को आदमी से जोड़ दो.

हम कहाँ दुनिया बदलने पायेंगे,
ऐसी सब बेकार बातें छोड़ दो.

जब नहीं इन्साफ मिलना है तो फिर.
तोड़ दो क़ानून सारे तोड़ दो.

जश्न सच्चाई का गर है देखना,
तो झूठ की सारी सलाखें मोड़ दो.

आसमां तक गर पहुचना चाहते,
बुझदिली की सारी बातें छोड़ दो.

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