Saturday, May 28, 2011


नौकरशाह......!!!



इंसान नहीं कठपुतली है,
सबसे गर्दन पतली है.
गर जो वो गुर्राता है तो,
समझो चेहरा नकली है.
इन्सान नहीं....


सबसे
ज्यादा टेंशन है,
पर रहना उसे अटेंशन है.
आज नौकरी अच्छी-खासी,
कल होता सस्पेंशन है.
वैसा ही कुछ हाल है उसका,
जैसे जल बिन मछली है.
सबसे गर्दन पतली है.


आज
यहाँ का वासी है,
कल मथुरा से काशी है.
घर परिवार नहीं है उसका,
बेचारा सन्यासी है.
भाग दौड़ करने में उसकी,
टूटी हड्डी पसली है.
सबसे गर्दन पतली है.



झूठा
उसको अभिमान है,
की वही देश की शान है.
जब मर्जी नेता जी कर दें,
सरेआम अपमान हैं.
झेल झेल सब वो बन जाता,
बिलकुल हीरा असली है.
सबसे गर्दन पतली है,
इंसान नहीं कठपुतली है.

2 comments:

Anonymous said...

बहतु बढ़िया...मजेदार ...बेहतरीन...!!!

shyam tiruwa said...

dhanyawad.