Friday, July 15, 2011

कुछ दिनों पहले मुंबई में हुए धमाकों से सारा देश आहत है. सबसे पहले तो इस हादसे में मारे गए लोगों को श्रधांजलि और ईश्वर से यही कामना कि दुखी परिवारों को इस शोक की घड़ी में साहस प्रदान करे. ऐसे माहौल में कुछ कहने को मन कर रहा है...गौर फरमाएं...

मर रहे हैं लोग,
ये मंजर तो देखिये.
इंसानियत के हाथ में,
खंजर तो देखिये.

क्या फायदा पढ़-पढ़ के ये,
गीता, कुरान-ए-पाक,
दिल अब भी हैं पड़े हुए,
बंजर तो देखिये.

अपनों को खो के आदमी,
रोये भी कब तलक.
उसके ज़ेहन में,
अश्क-ए-समंदर तो देखिये.

जो कर रहे हैं लाश पर,
अपनी सियासतें.
वो ही बने हैं आज,
सिकंदर तो देखिये.

फिर फट गया है आदमी,
बम को लपेटकर,
शैतान है,
इंसान के अन्दर तो देखिये.